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खून का रिश्ता

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आया कैसा कलयुग देखो मानव मतलब वाला है, जाने किस माया में आकर खूं ममता का कर डाला है। जिसने तुझको जन्म दिया है जिसने तुझको पाला है पर नारी के खातिर तुने मां-बाप को घर से निकाला है साथ दिया तूने पत्नी का दूध का रिश्ता तोड़कर खून किया तूने ममता का हाथ मां-बाप पर छोड़ कर। जाने तूं कैसा निर्दयी है कैसा फ़र्ज़ निभाता है पूछे बात मां- बाप जो कोई तूं सीना छलनी कर जाता है। तुझसे तो बेहतर कुत्ता है रोटी का फ़र्ज़ निभाता है मारे कितना मालिक फ़िर भी सदा ही दुम हिलाता है। रोटी का संबंध है उसका सदा ही साथ निभाता है पालनकर्ता की रक्षा को अपना खून बहाता है। है खून का रिश्ता तेरा फिर भी न साथ निभाता है पत्नी के कारण उनसे तूं रोटी का संबंध हटाता है।

मां

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मैंने पाया इस दुनिया में होती है सबसे प्यारी मां होते हैं वो किस्मत वाले होती है पास में जिनके मां। मां से तुमको ये जान मिली मां से तुमको पहचान मिली मुश्किल है जीवन मां के बिना मां से ये जीवन दान मिली। वो मां ही तो थी जिसने बच्चे से है तुम्हें बड़ा किया गिरते थे जब तुम बचपन में मां नें ही तुमको खड़ा किया। मां नें तुम्हारे खातिर जानें कितने ही कष्ट सहे होंगे सहकर इतने कष्टों को भी दुर्वचन कभी न कहें होंगे न जानें कितनी ही रातें वो तुम्हारे खातिर जागी होगी इस दुनिया की कितनी सुविधा तुम्हारे लिए त्यागी होगी। तुम्हे देख कभी वो पीड़ा में कितनी व्याकुल होती होगी चेहरे पर हंसी देखने को कितनी आकुल होती होगी। अब वक्त तुम्हारा आया है सोचो मां ने क्या पाया है जिसने तुमको दी खुशी सदा उसको ही तुमने रुलाया है।

गरीब

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मैं जानता हूं औरों की तरह तुम भी, मेरी दशा देख मुस्कुरा रहे हो। मेरी लाचारगी दोस्तों को दिखा, मेरा तमाशा बना रहे हो। पर ये क्या, तुम जा रहे हो ? ठहरो कि मैं तुम्हे और हंसाता हूं, तुम्हें अपना परिचय कराता हूं। मेरे घर वाले मुझे बदनसीब और दुनिया वाले शायद गरीब कहतें हैं। गरीब इसलिए, क्योंकि, मैं नहीं कर पाता अपने परिवार का जीविकोपार्जन। बदनसीब इसलिए, क्योंकि , मैं नहीं भर पाया अपने भूखे बच्चों का पेट। जो भूख से तड़पते, चढ़ गए मौत की भेंट असंख्य भारतीय की तरह , वह मेरी भी करीबी है। और जिसने मेरी ऐसी दशा की है, वह गरीबी है। शायद तुम देख पाए सिर्फ़ , मेरे थोड़े से बदन को ढ़कते , मेरे फटे पुराने वस्त्र को पर नहीं देख पाए तुम मेरे भूखे पेट को, जो खाने के इंतज़ार में है बैठा हुआ। शायद नहीं देख पाए तुम , कमजोरी से दबे हुए मेरे गाल को मेरी लड़खड़ाती चाल को। पर तुम कैसे समझोगे हमारी करुणा, तुम भी होगे उन धनि लोगों की तरह , जो गरीब को देख मुस्कुराते हैं। हम खाने के इंतज़ार में कुत्ते की मौत मरते हैं,

मेरा प्यारा भारत

मेरा भारत देश निराला , होता यहां है खूब घोटाला। हर जगह यहां है भ्रष्टाचार, हो जैसे ये कुटीर व्यापार । हो नेता या सरकारी अफसर, ये रहता सबके मन के अंदर। ये लगता है सबको प्यारा, काण्ड हुआ तेलगी तहलका चारा । कहे "नितेश" भारत को सबसे प्यारा देश, क्योंकि यहाँ के कई मंत्रियों पर चल रहा है केस.

जनता का उचित जनादेश

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में हाल ही में चुनाव संपन्न हुए और उसके नतीजें भी आ चुके हैं। इस बार चुनाव परिणामों से कई बातें सामने आई है। इन बातों का देश से देश के लोगों से सरोकार भी है। इन बातों को हम एक एक करके समझ सकते है। सबसे पहले हम उस मुद्दे की बात करें जिसकी इस बार के चुनाव में सबसे ज्यादा चर्चा थी, और वो मुद्दा था युवा नेतृत्व का। सभी राजनितिक दलों नें इसे तबज्जो दिया। लेकिन बाज़ी मरी कांग्रेस नें जो राहुल गाँधी के नेतृत्व में युवा भारत के निर्माण की बात कर रही है। आज देश में सबसे ज्यदा वोटरों की संख्या युवाओं की है और इस चुनाव के परिणामों से तो ऐसा लगता है की देश के अधिकांश युवाओं ने अपना विश्वाश कांग्रेस पर ही दिखाया है। लेकिन बात यदि सिर्फ़ युवा नेतृत्व की ही करें तो इस बार युवा सांसद अधिक मात्रा में जीते हैं।इस बार २५ से ३५ साल के ३१ सांसद है। ३६ से ४५ साल के ११६ सांसद लोकसभा में आए है। अब यदि हम बात करें महिलाओं की तो तो इस बार का चुनाव परिणाम उनके लिए भी उम्मीद की एक नै किरण लेके आया है। महिलाओं के लिए लोकसभा में आरक्षण की मांग तो काफ़ी समय से चल रही है ,लेकिन किसी भ

नैनों में "नैनो" का सपना

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अब भारत के अधिकांश लोगों ने सपना देखना शुरू कर दिया है। ये सपना अन्तरिक्ष पर जाने का नहीं है और नाही मंगल ग्रह पर जाने का है। बल्कि ये सपना है कार खरीदने का। आज वह मध्यम वर्ग तथा ग्रामिणव्यक्ति जो पहले कभी इसे सपने में भी नहीं देखते थे , आज उनकी आँखें सपना संजोने लगी है। सपना ये कि वो कार जिसे देखकर वो मन मसोच कर रह जाते थे। जिस पर सवार होकर सैर तो वो भी करना चाहते थे लेकिन कार कीकीमत रुपी मोटी ज़ंजीर उसे रोकती थी। कीमत रुपी मोटी जंजीरों को तोड़ना उस वर्ग के लिए सम्भव नहीं था जिस वर्ग के पास एक माह की सीमित तनख्वा तथा असीमित जरूरतें हैं। आज रतन टाटा ने उस कीमत रुपी मोटी जंजीरों को तोड़ते हुए कार को उन लोगों तक पंहुचा दिया है जो कार देख कर खूद को कार से दो कदम पीछे कर लेते थे। अब लोग स्कूटर तथा मोटरसाइकिल की जगह कार खरीदना पसंद करेंगे, और वो कार नैनो होगी। यदि देखा जाए तो बहुत माइनों में नैनो भारत के लिए सफल साबित होगी। सबसे पहले तो बदलाब गाँव में नज़र आएगा। गाँव के लोग भी कार खरीद पायेंगे, मुख्यतः वो लोग जो इतने ही पैसे खर्च करके बुलेट तथा ट्रक्टर खरीदते थे अब वो कार खरीद कर अपनी सामाजि