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खोखला समाज

मैं संत्रस्त हूं भारत के आज से इस खोखले समाज से आने वाला कल मुझे बहुत डराता है क्यों आज इंसान एक-दूसरे का घर जलाता है। मैं संत्रस्त हूं देश के रखवालों से रिश्वत के दलालों से जाने कितने खूनी खेल ये खेलते हैं देख कर खून के धब्बे उफ तक नहीं करते हैं। मैं संत्रस्त हूं भारत की राजनीति से नेताओं की नीति से वोट बैंक की नीति इन्हें खूब रास आती है इनके हर बात में राजनीति की बास आती है।