जनता का उचित जनादेश

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में हाल ही में चुनाव संपन्न हुए और उसके नतीजें भी आ चुके हैं। इस बार चुनाव परिणामों से कई बातें सामने आई है। इन बातों का देश से देश के लोगों से सरोकार भी है। इन बातों को हम एक एक करके समझ सकते है। सबसे पहले हम उस मुद्दे की बात करें जिसकी इस बार के चुनाव में सबसे ज्यादा चर्चा थी, और वो मुद्दा था युवा नेतृत्व का। सभी राजनितिक दलों नें इसे तबज्जो दिया। लेकिन बाज़ी मरी कांग्रेस नें जो राहुल गाँधी के नेतृत्व में युवा भारत के निर्माण की बात कर रही है। आज देश में सबसे ज्यदा वोटरों की संख्या युवाओं की है और इस चुनाव के परिणामों से तो ऐसा लगता है की देश के अधिकांश युवाओं ने अपना विश्वाश कांग्रेस पर ही दिखाया है। लेकिन बात यदि सिर्फ़ युवा नेतृत्व की ही करें तो इस बार युवा सांसद अधिक मात्रा में जीते हैं।इस बार २५ से ३५ साल के ३१ सांसद है। ३६ से ४५ साल के ११६ सांसद लोकसभा में आए है। अब यदि हम बात करें महिलाओं की तो तो इस बार का चुनाव परिणाम उनके लिए भी उम्मीद की एक नै किरण लेके आया है। महिलाओं के लिए लोकसभा में आरक्षण की मांग तो काफ़ी समय से चल रही है ,लेकिन किसी भी दल का इस विषय के प्रति सकारात्मक रवैया नही रहा है। यही वजह है की अब तक महिलाओं के आरक्षण से संबंधित विधेयक लोकसभा में अब तक पास नही हो पाया है। लेकिन इस बार जितनी महिलाएं लोकसभा तक पंहुची है उससे तो यही लगता है की बिना आरक्षण के भी महिलाओं का उचित नेतृत्व लोकसभा में हो सकता है। इस बार ५८ महिलाऐं लोकसभा में पंहुची है। इन सबके अतरिक्त जो सकारात्मक चीज़ इस लोकसभा में हमें देखनें को मिली, वो है जनता द्वारा इस बार बाहुबली तथा आपराधिक छवि वाले लोगों को नकारना। कुल मिलाकर हम कह सकते हैं जी इस बार का चुनाव परिणाम बहुत मायनों में अहम् साबित हुआ और इन सबसे भारतीय लोकतंत्र और मजबूत ही होगा.

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