मैं भारत हूं

मैं भारत हूं
लोकतंत्र की सबसे बड़ी इमारत हूं
धर्मनिरपेक्षता का किला हूं
कई विविधताओं से मिला हूं।
मेरी ऊंचाई विवादास्पद है
क्योंकि यंहा की राजनीती हास्यास्पद है
अब नहीं रहा मैं लोकतंत्र
बन गया हूं अब मैं गन-तंत्र।
आज मेरे अन्दर अजब सा शोर है
मुझे बनाने वाला कई नेता चोर है
बन गया हूं आज मैं थीएटर
जहां बैठा है गुंडा और फ़िल्मी एक्टर।
मैं बन गया हूं राजनीती के खेल का मैदान
जिसमे खेलने वाला हर कोई है बेईमान
हर कोई अपने स्वार्थ के लिए खेलता है
यंहा सवाल पूछने के पैसे वसूलता है।
मेरे मन में है आज एक भयानक सा डर
मुझे गैरों से ज्यादा है अपनों से डर
मारना चाहा जिसने मुझे नोट के लिए
मेरे रखवालों ने उसे छोड़ना चाहा वोट के लिए।
मुझे बना दिया है डब्ल्यूडब्ल्यूई का रिंग
जहां नेता आपस में करते हैं फाइटिंग
अब नहीं यंहा देश के हित की बात होती है
न जाने कितनी बार संसद की कार्यवाही बर्खास्त होती है।
मेरी करुणा को नितेश ने अपनी कविता में उतरा है
जागो भारत के लोगों मुझे तुम्हारा ही सहारा है
डूब रहा हूं मैं मुझे किनारा चाहिए
बचा लो मुझे गिरने से मुझे सहारा चाहिए
मेरी करुणा को नितेश ने अपनी कविता में उतारा है
जवाब देंहटाएंजागो भारत के लोगों मुझे तुम्हारा ही सहारा है
डूब रहा हूँ मैं मुझे किनारा चाहिए
बचा लो मुझे गिरने से मुझे सहारा चाहिए
बहुत अच्छा व्यंग है....आज के लोकतंत्र पर..बहुत खूब
बहुत सुन्दर जी,
जवाब देंहटाएं"मुझे बनाने वाला हर नेता चोर है"
मगर क्षमा चाहता हूँ आपके इस लाइन से सहमत नहीं ! इन हरा***** ने बनाया कहाँ ? इन्होने तो सिर्फ उजाड़ा है ! जहाँ न्याय की कुर्सी पर भी इन्होने अपने जैसे ही चोर बिठा दिए वो क्या देश को बनायेगे ?