क्या हुआ जो प्रिय तुम मेरी नहीं

क्या हुआ जो प्रिय तुम मेरी नहीं
पर मैं तो सिर्फ तुम्हारा हूं।

तुम न अपनाओ गिला नहीं
इंसान मैं बड़ा ही प्यारा हूं
समझूंगा की तुम लहरें हो
और मैं सिर्फ किनारा हूं
क्या हुआ जो प्रिय तुम मेरी नहीं
पर मैं तो सिर्फ तुम्हारा हूं।

जो दे न सकी तुम हाथ मुझे
तो कम से कम कुछ साथ ही दो
जो बन न सकी जीवन मेरी
तो जीने का अहसास ही दो
क्या हुआ जो प्रिय तुम मेरी नहीं
पर मैं तो सिर्फ तुम्हारा हूं।

हृदय रहा मेरा पाक सदा
तुम्हें पाने की कभी चाह न की
बेशक कितने ही कष्ट सहे
पर मूंह से कभी भी आह न की
क्या हुआ जो प्रिय तुम मेरी नहीं
पर मैं तो सिर्फ तुम्हारा हूं।

दुःख मैंने तुमको दिए बहुत
हो सके तो करना माफ प्रिय
मेरी भी कुछ मजबूरी थी
वरना है दिल मेरा साफ प्रिय
क्या हुआ जो प्रिय तुम मेरी नहीं
पर मैं तो सिर्फ तुम्हारा हूं।

मैंने माना है लहर तुम्हें
और खुद को माना किनारा है
मिलती रहना तुम कभी-कभी
तुम बिन न कोई सहारा है
क्या हुआ जो प्रिय तुम मेरी नहीं
पर मैं तो सिर्फ तुम्हारा हूं।

संभव ही नहीं पाना तुमको
मैं योग्य तुम्हारे हूं ही नहीं
मैं बदबख्त बहुत हूं प्रिय
मैं तो खुशियों के योग्य नहीं
क्या हुआ जो प्रिय तुम मेरी नहीं
पर मैं तो सिर्फ तुम तुम्हारा हूं।

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