दो दिल मिल गए हैं......मगर चुपके-चुपके




दो दिल मिल रहे हैं, मगर चुपके-चुपके,
सबको हो रही है खबर चुपके-चुपके....

हिंदी फिल्म परदेस फिल्म का ये गाना नीतीश कुमार (जेडीयू) और नरेंद्र मोदी (बीजेपी) के एक बार फिर से एकसाथ आने की पूरी कहानी बताता है। दरअसल बुधवार (26 जुलाई 2017) को अचानक नीतीश कुमार का बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना, आरजेडी से किनारा करने का घटनाक्रम बहुत तेजी से हुआ, लेकिन इसकी स्क्रिप्ट धीरे-धीरे व काफी दिनों से लिखी जा रही थी। पर जैसे ही तेजस्वी यादव भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे, वैसे ही इस पुराने रिश्ते को एक डोर मिल गई और इस्तीफे के कुछ घंटे बाद ही बीजेपी ने जेडीयू को सपोर्ट देकर सुशासन बाबू के एक बार फिर सीएम बनने का रास्ता साफ कर दिया और दोनों ने खुलकर दुनिया के सामने मिलने का ऐलान कर ही दिया।

  अब सवाल उठता है कि आखिर सच में नीतीश ने तेजस्वी पर लगे आरोपों व उसके बाद भी उप-मुख्यमंत्री पद से उनके  इस्तीफा न देने की वजह से महागठबंधन का साथ छोड़ इस्तीफा दिया या फिर कोई और वजह थी। अगर पिछले डेढ़ साल से अलग-अलग मुद्दों पर नरेंद्र मोदी के समर्थन में दिए गए नीतीश कुमार के बयानों को देखें, तो इस सवाल का जवाब मिल जाता है। नीतीश कुमार पुरानी बातों को भुलाकर कब से बीजेपी व मोदी के साथ आने का रास्ता बना रहे थे।
आइए जानते हैं आखिर कब-कब नीतीश के दिल में नरेंद्र मोदी के लिए प्यार जागा।




-जनवरी 2016 में जब पीएम नरेंद्र मोदी अचानक लाहौर पहुंचे थे और पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ से मिले थे, तो सभी विपक्षी दलों ने इस कदम की निंद की थी। लालू यादव ने 56 इंच के सीने पर सवाल उठा दिया था, लेकिन नीतीश कुमार ने तारीफ करते हुए कहा था कि, इससे भारत और पाकिस्तान के बीच के विवादित मुद्दों को सुलझाने में मदद मिलेगी, ये अच्छी पहल है।

-29 सितंबर 2016 को जब भारतीय सेना ने पाकिस्तान अॉक्युपाइड कश्मिर में सर्जिकल स्ट्राइक किया था, तो सभी विपक्षी दल इस पर भी सवाल उठाने लगे थे। पर यहां भी नीतीश कुमार ने खुलकर केंद्र सरकार और भारतीय सेना की ओर से आतंकवाद के खिलाफ की गई इस कार्रवाई का समर्थन किया था।

-8 नवंबर 2016 को जब पीएम नरेंद्र मोदी ने 500 रुपये व 1000 रुपये के नोट को बंद करने का फैसला किया, तो पूरा विपक्ष उनकी आलोचना कर रहा था। नीतीश कुमार के साथी लालू यादव ने भी मोदी के इस फैसले की निंदा की, लेकिन सीएम नीतीश कुमार ने मोदी का सपोर्ट करते हुए कहा था कि इस फैसले से कालाधान व जाली नोटों को रोकने में मदद मिलेगी। उन्होंने बेनामी संपत्ति के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी पीएम से की थी।

-5 दिसंबर 2016 को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी टाइम मैगजीन के पर्सन अॉफ द ईयर के सर्वे में आगे रहे थे, तो भी नीतीश कुमार ने जमकर उनकी तारीफ की थी।

-5 जनवरी 2017 को गुरु गोविंद सिंह के 350वें प्रकाश पर्व के मौके पर पटना में आयोजित कार्यक्रम में सीएम नीतीश कुमार ने पीएम मोदी की खूब तारीफ की थी। वहीं पीएम ने शराबबंदी के फैसले पर सुशासन बाबू की जमकर प्रशंसा की थी। मोदी ने प्रकाश पर्व आयोजन की सफलता के पीछे भी नीतीश कुमार का हाथ बताया था।

-मार्च 2017 में यूपी और उत्तराखंड में बीजेपी को मिले प्रचंड बहुमत पर भी नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार के फैसलों की तारीफ करते हुए कहा था कि विपक्ष को इसका विरोध नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे गरीब तबके को राहत मिली, इसलिए हर वर्ग ने बीजेपी को वोट दिया।

-21 जून 2017 को नीतीश कुमार ने एनडीए की ओर से घोषित राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को समर्थन देने का ऐलान करके सभी विपक्षी दलों को हिला दिया था। 

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