गरीब








मैं जानता हूं
औरों की तरह तुम भी,

मेरी दशा देख मुस्कुरा रहे हो।
मेरी लाचारगी दोस्तों को दिखा,
मेरा तमाशा बना रहे हो।
पर ये क्या, तुम जा रहे हो ?

ठहरो कि मैं तुम्हे और हंसाता हूं,

तुम्हें अपना परिचय कराता हूं।
मेरे घरवाले मुझे बदनसीब
और दुनिया वाले शायद गरीब कहतें हैं।

गरीब इसलिए, क्योंकि,

मैं नहीं कर पाता अपने परिवार का जीविकोपार्जन।
बदनसीब इसलिए, क्योंकि ,
मैं नहीं भर पाया अपने भूखे बच्चों का पेट।
जो भूख से तड़पते, चढ़ गए मौत की भेंट

असंख्य भारतीय की तरह ,
वह मेरी भी करीबी है।
और जिसने मेरी ऐसी दशा की है,
वह गरीबी है।

शायद तुम देख पाए सिर्फ़ ,
मेरे थोड़े से बदन को ढ़कते ,
मेरे फटे पुराने वस्त्र को
पर नहीं देख पाए तुम मेरे भूखे पेट को,
जो खाने के इंतज़ार में है बैठा हुआ।
शायद नहीं देख पाए तुम ,
कमजोरी से दबे हुए मेरे गाल को
मेरी लड़खड़ाती चाल को।

पर तुम कैसे समझोगे हमारी करुणा,
तुम भी होगे उन धनि लोगों की तरह ,
जो गरीब को देख मुस्कुराते हैं।
हम खाने के इंतज़ार में कुत्ते की मौत मरते हैं,
और वह कुत्ते पर ही हजारों लुटाते हैं।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

भगत सिंह अब याद नहीं

जीवन की रणभूमि

Instant Loan App: क्या आप भी फंस रहे हैं चीनी लोन ऐप के जाल में? इन बातों का रखेंगे ध्यान तो नहीं होगी ठगी