खुशी भी और गम भी

बहुत लंबे समय से मैं कुछ लिख नहीं पा रहा था। दरअसल पिछले दो-तीन महीनों से मैं अपने भविष्य और करियर बनाने की जद्दोजहद में लगा हुआ था। दो महीने अमर उजाला में इन्टर्न किया। इन्टर्न के दौरान ही टेस्ट दिया जिसमे पास भी हुआ, पास होने की खुशी भी हुई और थोड़ी निराशा भी। दरअसल अनुवाद में एक छोटी सी गलती की वजह से मुझे जूनियर सब-एडिटर से ट्रेनी सब-एडिटर बना दिया गया। पहले तो इस बात से निराशा हुई। इसके बाद ये जान कर कि मुझे अलीगढ़ भेजा जा रहा है, एक बार फिर निराशा हुई। बचपन से जिस दिल्ली में रहा, जिस दिल्ली में बड़ा हुआ, जिस दिल्ली में लोग दूसरे शहरों से आते हैं मुझे उसी शहर को छोड़कर जाना था, निराशा थी लेकिन करियर को ध्यान में रखकर मैं जॉइन करने 20 अप्रैल 2010 को अलीगढ़ आ गया।
किताबों में पढ़ा था अलीगढ के बारे में, यहां के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के बारे में। किस्मत ने इस शहर में रहने का मौका भी दिया। यहां आए हुए अब मुझे दो महीने से अधिक हो चुके हैं लेकिन आज भी मैं यहां अपने आपको असहज महसूस कर रहा हूं। यहां मुझे बहुत ही परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। लोग जिसे तालीम और तहजीब का शहर कहते हैं, लेकिन अजीब तहजीब और तालीम लगी यहां के कुछ लोगों की। क्योंकि मैंने यहां बाप को भी बेटे से गाली दे कर ही बात करते हुए देखा है। यहां लोगों से मेरा मतलब पूरे अलीगढ़ के लोगों से नहीं है। अछे भी लोग हैं यहां । फिर भी मैंने दो महीनो की अपनी निराशा को अपनी कविता में कुछ इस तरह व्यक्त किया है-

हां थोड़ा मायूस हूं मैं इस नए शहर में आकर
हां थोड़ा उदास हूं मैं अपनों से दूर आकर
कौन भला चाहेगा अपनों से दूर रहना
कौन भला चाहेगा अकेले और तन्हा रहना

लेकिन कभी-कभी हो जाते हैं ऐसे हालात
जहां हमारी सभी इक्षाएं खा जाती हैं मात
वक्त से मजबूर हो छोड़ना पड़ता है अपनों को
तोड़ना पड़ता है स्वयं अपने सपनों को

करना पड़ता है हमें वक्त से संघर्ष
जिससे बदल सके हमारा बुरा वक्त
हम भी जी पाएं खुशी से अपनी जिन्दगी
परिवार वालों के चेहरे पर रहे हर्ष

लेकिन कभी-कभी संघर्ष और मेहनत
ही काफी नहीं होता जीवन में
बुरा वक्त बदलने को
जरूरत होती है अच्छे भाग्य की भी

भाग्य जिसकी जरूरत है हर जीवन में
क्या इंसान और क्या भगवान
भाग्य का ही खेल है ये
जो वन को गए थे राम भगवान

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

भगत सिंह अब याद नहीं

जीवन की रणभूमि

Instant Loan App: क्या आप भी फंस रहे हैं चीनी लोन ऐप के जाल में? इन बातों का रखेंगे ध्यान तो नहीं होगी ठगी