जीवन की रणभूमि

जीवन की इस रणभूमि में
एक खेल नया मैं सीख गया
इस खेल में कभी मैं जीत गया
इस खेल में कभी मैं  हार गया।

जब तक न जीता इस खेल में मैं
न हार मैंने स्वीकार किया
जीवन की इस रणभूमि में
एक खेल नया मैं सीख गया।

सीखा तो मैंने यह भी है
कि भाग्य बाद में आता है
पहले मेहनत, विश्वास जरूरी है
जीवन की इस रणभूमि में
एक खेल नया मैं सीख गया।

जब हारा मैं मुझे चोट लगी
पर उस चोट से ये बात याद आई
भगवान के आगे दुनिया में
शक्ति किसी की नहीं चलती
पर बना चोट खाए तो
मूर्ति भी उनकी नहीं बनती।

ये सब बातें तो सीख गया
अब ये बात भी सीखा "नितेश"
जीवन में औरों को भी मैं
दूंगा सदा यही संदेश। 

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